उस रोज की सुबह इसलिए अलग थी क्योंकि चढ़ते सूरज के साथ ही पता चला था भईया क़ी covid report positive आयी है,,यह जानने के बाद कुछ मिनट तो जैसे सन्न रह गए थे हम लोग, चुपचाप एक दूसरे के चेहरे देख रहे थे और समझने की कोशिश कर रहे थे कि अब करना क्या है,, खैर स्तिथि से वाकिफ हुये और दिन शुरू हुआ। सबके फोन घनघनाने शुरू हो गए थे,,कभी cmo ofc से, कोविड हेल्पलाइन से, अस्पताल से, और जिसको पता चल रहा था उसके भी।
जैसे-तैसे करके आधा दिन बीता फिर एक फोन आया कि ambulance आगयी है, नीचे आजाइये,, सबसे भयानक था ये क्षण भईया को इसमें जाते देखना और हमलोग का असहाय महसूस करना। हूटर बजाकर किसी अपने को ले जाती हुई ambulance यकीन मानिए बहुत खतरनाक लगती है।
सोचिये चीन के वुहान शहर से चला ये कोरोना वायरस किन किन रास्तों से होता हुआ मुझ तक भी आ ही पहुंचा। मेरे साथ परिवार के 3 अन्य सदस्यों को भी इसने अपनी चपेट में ले लिया। जाहिर है covid positive होने के बाद से मन डरा हुआ था, मन में कई तरह के ख्याल भी आरहे थे पर भगवान और भगवान रूपी हमारे स्वास्थ्य कर्मियों पर भरोसा भी था।(चूकिं मेरे परिवार के सदस्य भी स्वास्थ्य विभाग में हैं)।
हमलोग भी उसी तरह ambulance में अस्पताल गए जैसे एक दिन पहले भईया, सड़क पर दौड़ती ये गाड़ी भी अनोखी है आपको पल भर में सबसे अलग बना देती है और सड़क पर चलने वाला हर शख्स जैसे झांक कर देखना चाहता है अंदर कौन है ,,किस हाल में हैं। हमलोग को भी उसी अस्पताल में शिफ्ट किया गया जिसमें एक दिन पहले भईया को लाया गया था। अब हम चारों लोग एक साथ हो गए थे और कुछ दिन में स्थिर भी हो गए।
बीच बीच में हमें कुछ परेशानियां हुई मसलन गले में खराश, सांस फूलना, बुखार, खांसी, स्वाद व सुगंध का चले जाना और हां कुछ दवाई से मुझे एलर्जी हो गयी, जिससे शरीर मे चकत्ते के साथ itching की दिक्कत रही। ये सब वायरस का प्रभाव था जो धीरे धीरे medication से कम हो गया। ये ऊपर वाले की कृपा है कि किसी की स्तिथि गम्भीर नही हुई।
सामान्य हालत में 12 दिन अस्पताल में रहना कुछ कुछ बिगबॉस हाउस सा ही एहसास दे रहा था,, न कोई आ सकता न कोई जा सकता,,, सब कुछ समयानुसार तय है हां पर एक छूट थी अपना मोबाइल रखने की जो बिगबॉस में नही होती। टास्क के तौर पर अस्पताल में होने वाले चेकअप माने जा सकते हैं। जैसे सुबह 6 बजे ही BP, oxygen level, pulse आदि। आधी नींद में ये चेक कराना भी मशक्कत ही था। एलिमिनेशन की प्रक्रिया आपके टेस्ट में नेगेटिव आने पर पूर्ण होती। हम 3 लोग तो पहले ही राउंड में नेगटिव आकर बाहर हो गए पर मम्मी पहले दूसरे तीसरे के बाद चौथे टेस्ट में नेगेटिव आयी। इस बीच उनके हमलोग से अलग होने पर व बार बार रिपोर्ट positive आने पर जरूर हमलोग तनाव में थे।
अस्पताल के माहौल व मरीजों के मन को हल्का रखने के लिए वार्ड में म्यूजिक सिस्टम लगा था जिसपर अक्सर गाने चलते थे और PPE kit पहने देवतुल्य स्वास्थ्य कर्मी थिरकते नजर आते थे तो कभी मरीज। इधर ,फोन मैसेज से लगातार सम्पर्क में रहे दोस्त व शुभचिंतक जिन्हें चिंता बनी हुई थी कि जल्दी ठीक हो जाओ उनका विशेष आभार। आपका हौसला व हिम्मत बढ़ाना बेशक काम आया।
अस्पताल से डिस्चार्ज होते समय अन्य मरीजों व PPE kit पहने खास लोगों ने तालियां बजाकर हमारी विदाई की। थोड़ा भावुक क्षण था ये चूंकि हम तीन लोग साथ थे और दूसरी तरफ मम्मी हम तीन से अलग।
फिलहाल अब हमलोग घर आ चुके हैं और स्वास्थ्य हैं। क्वारंटाइन की अवधि पूरा कर रहे हैं।
वैसे कोरोना शारीरिक के साथ एक मानसिक व सामाजिक जंग भी है। इस बीमारी से हमारे शरीर में अगर कोई समस्या होगी तो उसके लिए डॉक्टर हैं जो लगातार निगरानी बनाये हैं,,, पर अपने को लेकर समाज में और खुद हमारे दिमाग में जो कोतूहल मची है उसका सामना तो स्वयं ही करना पड़ेगा और उस जगह अगर कमजोर पड़े तो हावी होने वालों की कमी नही।
कोरोना स्पेशल संदेश –- दूर रहें, स्वस्थ्य रहें☺